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शिक्षा - शून्य से शिखर तक

शून्य से शिखर तक शिक्षा व्यवस्था में जुटी मध्यभारत शिक्षा समिति अंचल का प्रमुख एवं प्राचीन संस्थान है। 21 जुलाई 1941, स्वतंत्रता प्राप्ति के 6 वर्ष पूर्व, समिति की स्थापना तत्कालीन परिस्थितियों में एक साहसिक व सामाजिक प्रयास था, वह भी बिना भवन-धन-साधन के। संस्थापक बाबा गोखले ने अपनी पत्नी पार्वती के गहने बेचकर पार्वती बाई गोखले विद्यालय प्रारम्भ किया। इस प्रकार 'शिक्षा' सामाजिक सेवा का प्रकल्प है, यह विचार दृढ़ हुआ।

चरित्रवान, ध्येयनिष्ठ एवं समर्पित शिक्षकों के सहयोग ने विद्यालय को प्रतिष्ठा एवं गरिमा प्रदान की तो श्री जीवाजीराव सिंधिया ने बाल्दे भवन, सरदार आप्टे ने गणेश बाग मंदिर एवं श्री रामचंद्र राव राजवाड़े ने राजवाड़े भवन समिति को दान देकर उपलब्ध कराये, जो विकसित होकर शिशु शिक्षा से उच्च शिक्षा के केन्द्र बने हुए हैं।

मध्यभारत शिक्षा समिति

स्मरणीय व्यक्तित्व

सत्य ही है कि हर संस्था की सफलता के पीछे कुछ व्यक्तियों की लगन, कठोर श्रम-साधना, समर्पण एवं कुशल प्रबन्धन रहता है। समिति का सौभाग्य है कि इसे प्रबन्धन के लिये ध्येयनिष्ठ समाजसेवक, समर्पित शिक्षक, योग्य एवं सेवाभावी कर्मचारी मिलते रहे और विद्यालय- महाविद्यालय आगे बढ़ते गये। नाम अनेक हैं किन्तु कुछ का स्मरण करें तो संस्थापक श्री सदाशिव गणेश गोखले, डॉ. हरि रामचन्द्र दिवेकर, श्री रामचन्द्र गणपत राजवाड़े, श्री नारायण कृष्ण शेजवलकर, श्री रामकृष्ण दीक्षित, श्री भगवती प्रसाद सिंघल, डॉ. श्रीधर गोपाल कुंटे, श्री माधव शंकर इन्दापुरकर, श्री गोपाल गणेश टेम्बे, श्री भालचन्द्र खानवलकर, डॉ. गोविन्द शर्मा, डॉ. मनमोहन बत्रा, श्री महीपति बालकृष्ण चिकटे, डॉ. श्रीकृष्ण त्र्यंबक काकिर्डे, प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी आदि प्रमुख हैं।

नींव के पत्थर

समिति संसाधन

3 विशाल परिसर, 6000 विद्यार्थी, विषय एवं आवश्यकतानुसार शिक्षक, 5 विद्यालय, 4 महाविद्यालय, खेल अकादमी - कला, वाणिज्य प्रबन्ध, विज्ञान, शिक्षा, विधि खेल आदि के विविध पाठ्यक्रम, शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप अधोसंरचना यथा लायब्रेरी, ई-लायब्रेरी, वाई-फाय कैम्पस, स्मार्ट क्लासेस, विविध प्रयोगशालाओं के साथ कम्प्यूटर लैब भी। खेल एवं योग प्रशिक्षण की पर्याप्त सुविधाएँ, एन.सी.सी. का अनुशासन और एन.एस.एस. की सेवा दृष्टि, बौद्धिक विकास के लिये शोध संगोष्ठी, व्याख्यान, कार्यशालाएँ, शिविर-प्रदर्शनियाँ, साहित्य, संगीत एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला, कैरियर काउंसलिंग, प्लेसमेंट सैल, उद्यमिता विकास, कौशल विकास आदि गतिविधियों की नियमितता, व्यक्तित्व विकास शिविर द्वारा विकास के हर पक्ष पर ध्यान एवं अभ्यास।

मध्यभारत शिक्षा समिति

अमृतोत्सव