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नींव के पत्थर

संस्थापक स्व. श्री बाबा गोखले

स्व. डॉ. ह. रा. दिवेकर

स्व. श्री राजवाडे

स्व. श्री श्रीधर कुंटे

स्व. श्री बाबा साहब खानवलकर

स्व. श्री गोपाल राव टेम्बे

स्व. श्री महिपति बालकृष्ण चिकटे

मध्यभारत शिक्षा समिति

सन 1941 में स्थापित ग्वालियर नगर की प्राचीनतम संस्था मध्यभारत शिक्षा समिति के नाम से समाज में प्रतिष्ठित है। संस्था के उत्थान एवं सतत संचालन हेतु स्वर्गीय श्री सदाशिव गणेश गोखले एवं श्री हरि रामचन्द्र दिवेकर जी का योगदान अविस्मरणीय है। दिनांक 21 जुलाई 1941 को पार्वतीबाई गोखले विद्यालय का प्रारंभ किया गया। जुलाई 1945 में इंटरमिडिएट कला संकाय, 1951 में इंटरमिडिएट वाणिज्य संकाय, 1957 में इंटरमिडिएट विज्ञान संकाय की कक्षाएं प्रारंभ की गई। अब इसका नाम पार्वतीबाई गोखले इंटर कॉलेज हो गया था। इसे तत्कालीन महाराज जियाजी राव सिंधिया द्वारा संस्था को दान किये गये जीवाजीगंज स्थित बालदे परिसर में स्थानांतरित किया गया। जुलाई 1959 में पार्वतीबाई गोखले इंटर कॉलेज को 4 स्वतंत्र इकाइयों में बाँट दिया गया –

विज्ञान संकाय हेतु पार्वतीबाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय, बालदे परिसर
कला एवं वाणिज्य संकाय हेतु माधव महाविद्यालय, राजवाड़े परिसर
पार्वतीबाई गोखले बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बालदे परिसर
सार्वजनिक माध्यमिक विद्यालय, राजवाड़े परिसर

मध्यभारत शिक्षा समिति

कालांतर में माधव विधि महाविद्यालय एवं माधव शिक्षा महाविद्यालय की स्थापना राजवाड़े परिसर में की गई।

गत वर्ष लक्ष्मीबाई स्मारक समिति का संविलयन मध्यभारत शिक्षा समिति के साथ किया गया, अतः लक्ष्मीबाई स्मारक विद्यालय, नई सड़क भी अब मध्यभारत शिक्षा समिति के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। खेलों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए गतवर्ष बालदे परिसर में भव्य, विशाल एवं सर्वसुविधायुक्त पार्वती खेल अकादमी का निर्माण किया गया, जिसमें कई प्रकार के खेलों को सिखाने एवं खेलने की सुविधा उपलब्ध है। इसका लोकार्पण 21 जुलाई 2022 को किया गया।

श्री बाबा गोखले जी द्वारा 1941 में रोपा गया यह पौधा आज विशाल एवं भव्य वटवृक्ष का रूप ले चुका है, जिसके अंतर्गत प्रदेशस्तरीय ख्याति प्राप्त 4 महाविद्यालय, 3 विद्यालय एवं 1 खेल अकादमी संचालित है। 02 विशाल परिसर, 6000 से अधिक विद्यार्थी, विषय एवं आवश्यकतानुसार शिक्षकों एवं कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या, आवश्यकतानुसार वृहद् अधोसंरचना, सर्वसुविधायुक्त पुस्तकालय, WIFI CAMPUS, SMART CLASS, आधुनिक प्रयोगशालाएँ एवं सर्वसुविधायुक्त कंप्यूटर लैब से सुसज्जित महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में कला, वाणिज्य, विज्ञान, प्रबंधन, शिक्षा, विधि आदि के विविध पाठ्यक्रम संचालित है। हमारे यहाँ समस्त विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु खेल एवं योग प्रक्षिक्षण की पर्याप्त सुविधाएँ, NCC का अनुशासन एवं NSS की सेवा दृष्टि, बौद्धिक विकास के लिए शोध संगोष्ठी, व्याख्यान, कार्यशालाएं, शिविर, प्रदर्शनियां, साहित्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला, करियर काउन्सलिंग, प्लेसमेंट सेल, उद्यमिता विकास, कौशल विकास आदि गतिविधियों की नियमितता पर निरंतर ध्यान दिया जाता है |

21 जुलाई 1941 को स्वतंत्रता प्राप्ति के 6 वर्ष पूर्व, मध्यभारत शिक्षा समिति की स्थापना तत्कालीन परिस्थितियों में एक साहसिक सामाजिक प्रयास था, वह भी बिना भवन, धन, साधन के। संस्थापक बाबा गोखले ने अपनी पत्नी पार्वती के गहने बेचकर पार्वती बाई गोखले विद्यालय प्रारंभ किया। इस प्रकार शिक्षा समाजसेवा का प्रकल्प है यह विचार दृढ़ हुआ। चरित्रवान धेय निष्ठा एवं समर्पित शिक्षकों के सहयोग ने विद्यालय को प्रतिष्ठा एवं गरिमा प्रदान की, तो श्री सिंधिया ने वाल्दे भवन एवं श्री राजवाड़े ने राजवाड़े भवन समिति को दान देकर उपलब्ध कराएं, जो क्रमशः विकसित होकर शिशु शिक्षा से उच्च शिक्षा के केंद्र बने हुए हैं। सत्य ही है, कि हर संस्था की सफलता के पीछे कुछ व्यक्तियों की लगन, कठोर श्रमसाधना, समर्पण एवं कुशल प्रबंधन रहता है। समिति का सौभाग्य है कि, इसे प्रबंधन के लिए घनिष्ठ समाजसेवक, समर्पित शिक्षक, योग्य एवं सेवाभावी कर्मचारी मिलते रहे, और विद्यालय तथा महाविद्यालय आगे बढ़ते गए। नाम अनेक है, किंतु कुछ का स्मरण करें तो, संस्थापक श्री सदाशिव गणेश गोखले, डॉ हरी रामचंद्र दिवेकर, श्री रामचंद्र गणपत राजवाड़े, श्री नारायण कृष्ण शेजवलकर, श्री रामकृष्ण दीक्षित, श्री भगवती प्रसाद सिंघल, डॉक्टर श्रीधर गोपाल कुंटे, श्री माधवशंकर इंदरापुरकर, श्री गोपाल गणेश टेंबे, श्री भालचंद्र खानवलकर, डॉक्टर गोविंद शर्मा, डॉ मनमोहन बत्रा, श्री महिपति बालकृष्ण चिकते, डॉ श्रीकृष्ण त्रयंबक काकडे, प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी आदि प्रमुख हैं।

अमृतोत्सव